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Pawan Singh Returned Ticket to BJP : क्या भाजपा नेतृत्व से हो गई थी बड़ी गलती ?

LOKSABHA ELECTION : आखिर 24 घंटे में ऐसा क्या हो गया? क्या भाजपा नेतृत्व से हो गई थी बड़ी गलती ?

ASANSOL : पवन सिंह का टिकट घोषित होते ही बंगाल में भाजपा के खिलाफ बनने लगी हवा, जानिये क्यों ?

RNE, POLITICAL DESK .

पहली तस्वीर : टिकट की खुशी, नेतृत्व का आभार

एक शख्स बनियान लोअर पहने जिम में बैठा है। सामने मोबाइल रखा है जिस पर भाजपा के लोकसभा चुनाव 2024 की पहली टिकट लिस्ट लाइव घोषित हो रही है।

बंगाल के नाम बोले जा रहे हैं और एक नाम आता है ‘आसनसोल-पवनसिंह’। जिम में खुशी छा जाती है लोग बनियान वाले शख्स को बधाइयां देते हैं।यह शख्स है भोजपुरी गायक-कलाकार पवनसिंह। भाजपा ने इन्हें आसनसोल से अपना चेहरा बनाया। यह भी खुश दिख रहा है। खुशी का अनुमान इसीसे लगाया जा सकता है कि उसने ‘एक्स’ पर टिकट देने के लिए भाजपा नेतृत्व का आभार जताया।


दूसरी तस्वीर : मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा

दूसरी तस्वीर है लगभग 24 घंटे में ही पवनसिंह का ‘एक्स’ पर ट्वीट ‘पार्टी ने मुझ पर विश्वास करके आसनसोल का उम्मीदवार घोषित किया लेकिन किसी कारणवश आसनसोल से चुनाव नहीं लड़ पाऊंगा…’

बदलाव की वजह : क्या भाजपा नेतृत्व से चूक हो गई

जिस दौर में भाजपा का टिकट मतलब लोकसभा में सीट पक्की माना जा रहा है उस दौर में पहली ही सूची में शामिल एक प्रत्याशी ने पार्टी का टिकट लौटाकर चौंका दिया है।

जिम की तस्वीर देखकर, ऐसा भी नहीं कह सकते कि पार्टी ने सहमति के बिना टिकट दिया होगा। ऐसा हो भी नहीं सकता कि पार्टी अपनी पहली लिस्ट जारी करे। नया चेहरा मैदान में लाएं और उसे पता नहीं हो।

पहले जानें कौन है पवनसिंह :

भाजपा ने जिस पवनसिंह को टिकट घोषित किया, पहले जानें कि वे कौन हैं और उन्हें टिकट क्यों दिया? दरअसल पवनसिंह भोजपुरी गायक-कलाकार हैं। भाजपा मनोज तिवारी, रविकिशन, दिनेश लाल यादव (निरहुआ) वाले फार्मूले पर पवनसिंह को मैदान में लाई।

पवनसिंह का रामायण के संदर्भों पर केन्द्रित गीत तो खूब चले लेकिन खास पहचान ‘भोजपुरी स्टाइल’ वाली फिल्मों, एलबम को लेकर है जिनमें भौजाई, लुगाई पर फिकरे और जिस तरह के नाच होते हैं वे सब जानते हैं।

आसनसोल से टिकट क्यों ?

आसनसोल ऐसी सीट है जहां बंगाली से अधिक गैर बंगलाभाषी है। इनमें बिहार, यूपी के भोजपुरी बोलने वाले भी बड़ी संख्या में हैं। इन लोगों में भोजपुरी गानों, गायकों, कलाकारों का क्रेज है। ऐसे में गैर बंगाली वोटों का ध्रुवीकरण कर आसनसोल सीट निकालने के लिहाज से भाजपा ने पवनसिंह का दांव चला।

उलटा क्यों पड़ा दांव ?

हो सकता है कि आसनसोल में पवनसिंह चुनाव जीत जाते लेकिन उन्हें बंगाल में उतारने का दांव पूरे बंगाल पर उलटा पड़ता दिखा। वजह, पवनसिंह के गानों, एलबम फिल्मों में महिलाओं को लेकर जो गाने बनाये गए हैं उनमें बंगाली महिलाओं को लेकर कई गाने फेमस हैं और उन्हें अच्छे रूप में नहीं दिखाया गया है। बंगाली अपनी संस्कृति से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करते। यह टिकट घोषित होते ही बंगाल में तृणमूल से लेकर कांग्रेस तक ने मोर्चा खोल दिया। इतना ही नहीं कई संगठनों ने भी बंगाल की महिलाओं को भद्दे तरीके से दिखाने वाले को यहीं मैदान में उतारने पर भाजपा को आड़े हाथों लेना शुरू किया।

माहौल बिगड़ता देख यू-टर्न :

संदेशखाली मे महिलाओं में आत्मसम्मान के साथ खिलवाड़ को मुद्दा बनाकर चुनाव में उतर रही भाजपा के कैंडीडेट को ‘बंगाली महिलाओं का अपमान’ करने वाला चेहरा बताते हुए सोशल मीडिया पर वायरल किया जाने लगा। ऐसे में हो सकता है कि भाजपा पवनसिंह के नाम पर गैर बांगली वोटों का धु्रवीकरण कर आसनसोल सीट जीत लेती लेकिन इसका बुरा असर पूरे बंगाल पर पड़ता और विपक्ष को बैठे-बिठाये एक मुद्दा मिल जाता। ऐसे में टिकट को लेकर तुरंत निर्णय हुआ। जाहिर है कि पवनसिंह को जिस तरह बगैर बताये हुए टिकट नहीं दिया होगा उसी तरह यह भी तय है कि टिकट वापसी के लिए भी उन्होंने ट्विट करने से पहले नेतृत्व से बात जरूर की होगी।

यूं घिर गई भाजपा :

पवनसिंह को टिकट घोषित करते ही भाजपा घिर गई। पवनसिंह के पुराने गाने सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पवनसिंह की उम्मीदवारी को शर्मनाक बताया।

बाबुल सुप्रियो ने भी आलोचना की :

कलाकार एवं नेता बाबुल सुप्रियो ने कहा, बीजेपी को यह सोचना चाहिए था कि जिस व्यक्ति ने अपने गानों में बंगाली महिलाओं के लिए अपमानजनक शब्दों का उपयोग किया उन्हें बंगाल से टिकट नहीं देना चाहिए थे।

मैं पवनसिंह कलाकार के खिलाफ नहीं हूं। उनके वीडियो फिल्मों में बंगाली औरतों को टारगेट किया है। उनके बारे में डेरोगेटरी शब्द लिये गए हैं। उन्हें क्या सोचकर बीजेपी आसनसोल से टिकट दे सकती है। इसका उत्तर बड़ा सहज है कि बीजेपी बंगाली संवेदना को कभी महत्व नहीं दिया। उन्हें लगता है कि आसनसोल में नॉन बंगाली वोट ज्यादा है। उनके गाने नॉन बंगाली में हिट है उसी के लिए चुनाव जीतने के प्लान से उन्होंने पवनसिंह को उतार दिया।