सिस्टम से परेशान जनता ने किया मतदान का बहिष्कार, मांगे पूरी ना होने पर लिया फैसला
आरएनई, नेशनल ब्यूरो
मतदाताओं को अब इस बात का अहसास हो गया है कि नेता केवल चुनाव के समय ही उनके पास आते हैं। उनके सामने कई वादे कर जाते हैं और चुनाव बाद उनको भूल जाते हैं। जन समस्याओं को प्रभावी तरीके से उठाने का समय अब मतदाताओं को मतदान का समय ही लगता है। इस समय में उनके द्वारा उठाये गए कदम को राजनीतिक दल व प्रशासन दोनों ही सुनते हैं।
उनका मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर भी उभरता है। मगर ये भी सोचने की बात है कि मतदान का अधिकार हर मतदाता को संविधान से मिला है और उसका उपयोग करने का अधिकार पांच साल में एक बार मिलता है। उसका उपयोग न करना भी उचित नहीं।
जब मतदाता इस अधिकार को छोड़कर जन समस्या पर ध्यान दिलाता है तो सरकार व प्रशासन को मानना चाहिए कि मसला गम्भीर है। मत न देने के लिए जितनी आलोचना मतदाता की होती है उससे अधिक आलोचना सरकार व प्रशासन की भी होनी चाहिए।
अपनी जन समस्या के चलते झारखंड राज्य के हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र के 2 हजार ग्रामीणों ने कल वोट ही नहीं दिया। गुस्साए इन 2 हजार मतदाताओं का कहना था कि उनकी हजारीबाग में पुल बनाने की मांग को पूरा नहीं किया गया है।
जबकि ये सुगम यातायात के लिए बड़ी जरूरत है। ग्रामीणों के मतदान के बहिष्कार की इस घोषणा के बाद पुलिस अधिकारी उनको समझाने भी पहुंचे मगर ग्रामीणों ने उनकी बात नहीं मानी। वोट नहीं दिया।