Skip to main content

बीकानेर में हनुमानजी ने दरगाह में जियारत क्यों की, यह जानकार होगी ज्यादा हैरानी कि हनुमान बने पात्र हैं मुसलमान

RNE Bikaner. 

दशहरा की शोभायात्रा निकल रही हैं जिसमें देवी-देवताओं के रूप धरे बीसियों पात्र सजे-धजे रथों में चल रहे है। आगे-आगे हनुमानजी हैं जिन्हें घेरे हुए बच्चे और युवाओं की टोलियां ‘जयश्री राम’ उद्घोष लगा रही है। अचानक रास्ते में एक दरगाह आती है। हनुमानजी शोभायात्रा से निकल दरगाह में जाते हैं। जियारत करते है।

झांकियां ठहर जाती है और हनुमानजी के लौटने पर वापस शोभायात्रा उसी जोश के साथ आगे बढ़ जाती है। अगर आपको कहें कि यह सच्ची घटना है तो शायद जानकर हैरानी होगी। इससे भी ज्यादा चौंकने की बात तब होगी जब पता चलेगा कि हनुमान बने पात्र का नाम है- सलीम।

आज के दौर में जब धार्मिक पर्वो, यात्राओं के छोटे-छोटे मौकों पर सद्भाव बिगड़ता है तब ऐसी अनूठी बात पर यकीन करना मुश्किल होता है लेकिन यह सच्चाई है। यह वाकया है राजस्थान के बीकानेर शहर का।

यहां हर साल निकलने वाली दशहरे की झांकियों में राम, लक्ष्मण, रावण, जामवंत, सीता, भरत, शत्रुघ्न, महादेव, गणेश, देवी सहित सभी पात्रों के साथ ही आगे-आगे हनुमान चलते हैं।

यह पात्र निभाने वाले शख्स का नाम है सलीम भाटी। ऐसा नहीं है कि सलीम ने पहली बार यह रूप धरा है वह पिछले कई सालों से दशहरे पर निकलने वाली झांकियों में हनुमान का रूप धर सबसे आगे चलते, भागते, कूदते नजर आते हैं। बच्चों को गुदगुदाने के साथ ही टॉफियां भी बांटते हैं।

सलीम भाटी की भाभी कहती हैं, उन्हें ऐसा करना अच्छा लगता है तो परिवार के लोग भी नहीं रोकते। इसके साथ ही झांकियों की टीम में शामिल साथी भी कहते हैं, हनुमान के रूप में सलीम रंग जमाते हैं। उत्साह भरते हैं।

सलीम के पड़ौसी साहित्यकार गंगाबिशन बिश्नोई कहते हैं, सद्भाव की ऐसी मिसाल बीकानेर में ही देखने को मिल सकती है। सलीम की हनुमानगाथा के साथ ही एक और रोचक जानकारी यह है कि वे कवि मोहम्मद सदीक के पुत्र हैं।

 

उन्हीं मोहम्मद सदीक के जिनके बीसियों गीत आज भी लोगों की जुबान पर गूंजते हैं। इन्हीं में एक गीत है :

 ‘आपको सलाम, मेरा सबको राम-राम

अब तो बोल आदमी का आदमी है नाम॥’

खुद सलीम कहते हैं, ये किरदार निभाकर मुझे ऐसा लगता है कि पिताजी की विरासत को बचाये हुए हूं। मैं उनके रास्ते पर चलते रहने की कोशिश करता रहूंगा।