उसी रंगमंच के आगे थम गई ओम सोनी की शवयात्रा, जिसे बनाने का उन्होंने बीड़ा उठाया!
- बहुत याद आओगे ओम जी…. :
- हजारों नम आंखों ने दी विदाई
- हर रंगकर्मी गमगीन था
- रवींद्र रंगमंच के सामने दी श्रद्धांजलि
RNE, BIKANER.
हर वक्त हंसता हुआ चेहरा। तेज आवाज। छोटा हो या बड़ा रंगकर्मी, सबको गले लगाने वाला। रंगमंच की बात पर किसी भी राज्यपाल, मंत्री, अफसर से टकरा जाने वाला। नाटक को दिल से प्यार करने वाला।
बीकानेर का महबूब रंगकर्मी ओम सोनी आज पंच तत्त्व में विलीन हो गया। चौखुटी के स्वर्णकार समाज के श्मसान घर मे जब उनके पुत्र रंगकर्मी मयंक सोनी ने उनको मुखाग्नि दी तो हजारों आंखों से अश्रुधारा बह गई।
ओम सोनी अमर रहे का स्वर स्वतः फुट पड़ा। समाज, आसपास के लोग विस्मित थे। उनको पहली बार शायद पता चला कि इस शख्स को प्यार करने वाले हजारों लोग है।
सुबह 10.30 बजे जब उनके निवास से उनकी शवयात्रा शुरू हुई तो लोग आंसू रोक नहीं पा रहे थे। उनकी शवयात्रा का रथ रवींद्र रंगमंच के पास आते ही थम गया। ये रंगमंच ओम सोनी के संघर्ष का नतीजा जो है। यहां रंगकर्मी, साहित्यकार बड़ी संख्या में खड़े थे।
शव को रथ से नीचे उतारा गया। रवींद्र रंगमंच के सामने रखा गया। कलाकारों ने रोते हुए पुष्प वर्षा की, जय के उद्घोष किये। ये रंगमंच ओम सोनी के 20 साल के संघर्ष का प्रतिफल जो था। वहां खड़े कलाकार चाहते ही नहीं थे कि उनके शव को रंगमंच के सामने से उठाया जाये।
रंगकर्मी प्रदीप भटनागर, रमेश शर्मा, अशोक जोशी, दीपचंद सांखला, मधु आचार्य, संजय पुरोहित, दयानन्द शर्मा, अभिषेक आचार्य, हरीश बी शर्मा, इरशाद अजीज, असित गोस्वामी, रामदयाल राजपुरोहित, दीपांशु पाण्डेय, मो. वसीम, सुरेश पूनिया, रवि माथुर, रामसहाय हर्ष सहित सभी गमगीन थे।
तभी जोधपुर से रंगकर्मी राकेश मुथा अपने साथी को अंतिम विदाई देने आ पहुंचे। उनके साथ अविनाश व्यास, प्रदीप माथुर, विनोद भटनागर भी थे। रवींद्र रंगमंच से वापस उनकी शवयात्रा शुरू हुई और श्मसान तक पहुंची। वहां भी बड़ी संख्या में लोग जमा थे।