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तेरापंथ भवन में एक दिवसीय प्रेक्षाध्यान कार्यशाला का आयोजन

आरएनई,बीकानेर। 

तेरापंथ भवन- प्रज्ञासमवसरण में एक दिवसीय प्रेक्षाध्यान कार्यशाला में मुनिश्री चैतन्य कुमार” अमन ” ने अपने सम्बोधन में साधक समुदाय को सम्बोधित करते हुए कहा- प्रज्ञा जागरण का एक महत्वपूर्ण माध्यम है -ध्यान साधना। ध्यान के विधिवत प्रयोगों से कुंडलिनी का जागरण संभव है। ध्यान के द्वारा संस्कारों में परिवर्तन व परिष्कार भी हो सकता है। विचारों के प्रवाह को ध्यान के द्वारा रोका अथवा मोड़ा जा सकता है। ध्यान के विविध प्रयोगों से इन्द्रिय विजय मन विजय और आत्म विजय को उपलब्ध हो सकता है बशर्ते नियमित अभ्यास और प्रयास किया जाय। इसके लिए जरूरी है निरन्तर नियमित अभ्यास हो ।

मुनि अमन ने कहा- आज का इंसान परेशान है। वह चाहता कुछ और है तो करता कुछ और है। जबतक चाह और राह एक नहीं होगी तब मंजिल नहीं मिलेगी। चिन्तन निर्णय और क्रियान्विति में एक-रूपता जरूरी है तभी सफलता की प्राप्ति हो सकती है। अपने मन को प्रशिक्षित करने के लिए विश्वास जरूरी है। विश्वासपूर्वक किया गया कार्य निश्चय ही अच्छा परिणाम लाता है।

स्थिरता, एकाग्रताऔर धैर्य से किया गया कार्य सन्तोषप्रद होता है। आवश्यकता है ध्यान के प्रयोग साधक के लिए वरदान साबित हो अतः आत्म विश्वासपूर्वक हो । मुनिश्री श्रेयांस कुमार जी ने मर्यादाओं के प्रति अपनी आस्था की अभिव्यक्ति देते हुए गीत प्रस्तुत किया। प्रेक्षा साधक प्रशिक्षकनागपुर (महाराष्ट्र) से समागत श्री आनन्द सेठिया ने प्रेक्षा ध्यान का प्रयोग कराते हुए कायोत्सर्ग दीर्घ श्वास प्रेक्षा तथा ज्योति केन्द्र ऐक्षा प्रेक्षा के प्रयोग कराते हुए ध्यान की उपयोगिता बताई। कार्यशाला में लगभग 60 भाई-बहनों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। तथा उत्साह के साथ प्रयोग किए।