दलों से ऊपर ओमजी : मेघवाल बोले-प्रोत्साहक, कल्ला ने कहा- सकारात्मक संवाद करते
- केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा, ओम आचार्यजी ने मुझे हमेशा प्रोत्साहित किया, मार्गदर्शन दिया
- पूर्वमंत्री बी.डी.कल्ला ने कहा, विकास के मुद्दों पर दलगत राजनीति से ऊपर उठकर करते सार्थक संवाद
RNE, BIKANER .
केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा है कि ओम आचार्य भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य ही नहीं वरन पार्टी के लिये अपना जीवन समर्पित करने वाले नेता थे। वे कार्यकर्ताओं-नेताओं को प्रोत्साहित करने में सबसे आगे रहते थे। उन्होंने मुझे भी समय-समय पर मार्दर्शन दिया और प्रोत्साहित किया।
मेघवाल रविवार को राजस्थान प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र और चेतना संस्था की ओर से ओम आचार्य की स्मृति में आयोजित श्रद्धांजलि सभा को संबोधित कर रहे थे। मेघवाल ने एक संस्मरण का जिक्र कर कहा, ओमजी ने मुझे बताया था कि मुंबई अधिवेशन से पहले ही पार्टी के गठन की प्रक्रिया पर दिल्ली में मीटिंग हुई। इस मीटिंग में एक प्रस्ताव पर सबकी सहमति नहीं बन पाई थी। अगर प्रस्ताव पर उस वक्त सहमति हो जाती तो भाजपा का गठन पहले ही हो जाता।
केन्द्रीय मंत्री मेघवाल ने कहा, मैंने ओमजी की बताई इस बात को लालकृष्ण आडवाणीजी के सामने रखा तो उन्होंने कहा, यह सही बात है। तब आडवाणीजी ने आदेश दिया था कि श्यामाप्रसाद मुखर्जी शोध संस्थान जाकर यह बात रिकॉर्ड में दर्ज करवाओ। मेघवाल ने महिला आरक्षण बिल के जवाब में ‘शंकराचार्य-मंडन मिश्र शास्त्रार्थ पर सुनाई गई उभय भारती की कथा का जिक्र किया। कहा, सदन में यह बात रखने पर ओमजी ने मुझे फोन कर बधाई दी। उनका यूं प्रोत्साहित करना मेरे लिये इंसेंटिंव की तरह था।
पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता डा.बी.डी.कल्ला ने कहा, बीकानेर शहर के विकास के लिए ओम आचार्य ने हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सार्थक संवाद और सहयोग किया। कल्ला ने ऐसे कई मुद्दे गिनाये जिन पर ओमजी के साथ मिलकर शहर के विकास पर साथ काम किया। इसमें यूनिवर्सिटी का मसला भी शामिल है। वे जनसंघर्ष में भी साथ रहते।
पूर्व विधायक एवं बीकानेर में जनहित के लिए संघर्ष के पर्याय एडवोकेट आर.के.दास गुप्ता ने कहा, ओम आचार्य के साथ हमने एक संघर्षशील नेता खो दिया। गुप्ता ने कहा, ओमजी के पिता दाऊदयाल जी स्वतंत्रता आंदोलन में जेल गए। बाद में इमरजेंसी के दौर में भी पिता-पुत्र दोनों एक साथ जेल में रहे। इतना त्याग और संघर्ष अब देखने को नहीं मिलता। ओमजी के साथ ही जनहित के लिए संघर्ष करने वाले नेताओं की एक पूरी पीढ़ी खत्म हो गई। वे मेरे संघर्ष के साथी थे। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम की ओर मुखातिब होकर कहा, ऐसे नेता की स्मृति में स्मारक बने ।
साहित्यकार-पत्रकार मधु आचार्य आशावादी ने कहा, ओम आचार्य को जितना संघर्षशील नेता के रूप में याद किया जाएगा उतना ही दलगत राजनीति से ऊपर उठने वाले सदाशयी नेता के तौर पर भी देखा जाएगा। वे विरोधी विचारों को भी न केवल ध्यान से सुनते वरन तार्किक और तथ्यात्मक विमर्श करते।
कोटा से आये भाजपा नेता लोकेश चतुर्वेदी ने कहा, ओमजी जिस तरह हमारे परिवार का हिस्सा थे उसी तरह सभी कार्यकर्ताओं के परिवार से उनका जुड़ाव था। उन्होंने मुझे कई राजनीतिक सीख दी हैं। उनकी स्मृति को अक्षुण्ण रखने के लिए बीकानेर में एक स्मारक जरूर बनना चाहिए।
ओमजी के साथी रहे साहित्यकार-चिंतक जानकीनारायण श्रीमाली ने उनके निधन को व्यक्तिगत क्षति बताया। आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने ओम आचार्य की ओर से लड़े गए लोकसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहा, उस वक्त श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिले तक लोकसभा क्षेत्र था। आज भी वहां के लोग उनकी भाषण शैली को याद करते हैं।
भाजपा ओबीसी मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष चंपालाल गेदर ने कहा, वे मेरे पिताजी के मित्र थे और मेरे लिये राजनीतिक मार्गदर्शक। जो भी एक बार उनसे मिलता उनके परिवार का हिस्सा हो जाता। पत्रकार-साहित्यकार हरीश बी.शर्मा ने हाल ही हुई मुलाकातों का जिक्र करते हुए कहा, ओम आचार्य की जैसी कार्यशैली और व्यक्तित्व था उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि भाजपा के राष्ट्रीय फलक पर उनकी एक बड़ी मौजूदगी हो सकती थी जिससे बीकानेर वंचित रहा। पत्रकार प्रमोद आचार्य ने किशोरावस्था से अब तक ओमजी के साथ अपने जुड़ाव का जिक्र करते हुए कहा, मेरे पत्रकार बनने के प्रेरणास्रोत ओमजी ही रहे।
प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र के अध्यक्ष वेदप्रकाश चतुर्वेदी ने भाई जैसा मित्र खोने पर दुख जताने के साथ ही आत्मशांति की प्रार्थना की। श्रीविश्वकर्मा कौशल विकास बोर्ड के अध्यक्ष रामगोपाल सुथार ने कहा, पार्टी के साथ ही मुझे व्यक्तिगत तौर पर क्षति हुई है।
पार्टी मंत्री बनवारीलाल शर्मा ने कहा, ओम आचार्य एक पाठशाला थे। उन्होंने जो सिखाया, उस रास्ते पर आगे बढ़ते रहेंगे। संघ की शाखा से लेकर कॉलेज और फिर पार्टी में साथी रहे लोकसभा प्रभारी डॉक्टर सत्यप्रकाश आचार्य अपने बड़े भाई जैसे इस प्रेरक मित्र की बात करते-करते भावुक हो गए।
बोलते-बोलते फफक पड़े कई वक्ता :
ओमजी की स्मृति में हुई श्रद्धांजलि सभा में कई वक्ता इतने भावुक हो गए कि फफक पड़े या उनका गला रूंध गया। उनके साथी और भाजपा के संस्थापक सदस्य रहे हनुमान चांडक, केदारनाथ अग्रवाल, एडवोकेट सतपालसिंह शेखावत, भाजपा नेता संपत पारीक, अधिवक्ता परिषद के एडवोकेट राधेश्याम सेवग का गया रुँध गया।
इन्होंने रखे विचार :
श्रद्धांजलि सभा में भाजपा नेता गुमानसिंह राजपुरोहित, बुलाकी गहलोत, सुरेन्द्रसिंह शेखावत, मेघराज बोथरा, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रघुवीर सिंह, विश्व हिन्दू परिषद के अशोक पड़िहार, देहात कांग्रेस अध्यक्ष बिशनाराम सियाग, श्रीडूंगरगढ़ पालिका के पूर्व अध्यक्ष रामेश्वर पारिक, ओम सोनगरा, उम्मेदसिंह राजपुरोहित, रमजान अब्बासी, छह न्याति ब्राह्मण संघ के पाराशर नारायण शर्मा, समाजसेवी भरत ठोलिया, चंद्रमोहन जोशी आदि ने संबोधित किया।
ये रहे मौजूद :
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लक्ष्मीनाथ नगर संघचालक ब्रह्मदत्त आचार्य, कूलर एसोसिएशन के कृष्णकुमार मेहता, प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र की चिकित्सा अधिकारी वत्सला गुप्ता, न्यायिक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष गिरिराज बिस्सा, नारायण पुरोहित, कर्मचारी नेता रामकुमार पुरोहित सहित बार एसोसिएशन, जिला उद्योग संघ, विश्व हिन्दू परिषद, लोकतन्त्र सेनानी, आरएसएस सहित विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।