उप चुनावों के लिए भाजपा की रणनीति, दो माह मंत्री – प्रभारी कैम्प करेंगे, जीत चाहती है पार्टी
RNE, State Bureau.
भाजपा 5 विधानसभा सीटों पर होने वाले संभावित उप चुनाव को लेकर गंभीर है और इसके लिए उसने खास रणनीति पर काम करना भी आरम्भ कर दिया है। दो दिन पहले भाजपा नेताओं की खास बैठक हुई जिसमें उप चुनाव को लेकर रणनीति का प्रारूप तैयार हुआ। इस बैठक में सीएम भजनलाल शर्मा और वे मंत्री भी उपस्थित थे जिनको इन सीटों का प्रभारी बनाया गया है। सह प्रभारियों की भी इस बैठक में उपस्थिति थी। भाजपा हर हाल में इन पांच में से कुछ सीटों को जीतना चाहती है।
जिन 5 सीटों पर उप चुनाव होना है उनमें से वर्तमान में एक भी सीट भाजपा के पास नहीं है। इसी वजह से वो कुछ सीट जीतकर अपनी लोकसभा चुनाव में हुई हार से उबरना चाहती है। इस वजह से सरकार व संगठन ने उप चुनाव के लिए मिलकर रणनीति बनाई है। वरिष्ठ नेता व कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद सरकार व पार्टी अलर्ट मोड पर आई है।
भाजपा ने उप चुनाव वाली सीटों के प्रभारी व सह प्रभारियों को दो महीने तक इन क्षेत्रों में कैम्प करने को कहा है ताकि जनता की समस्याओं का निराकरण किया जा सके। विकास की योजनाओं पर बात हो सके। संभवतः अक्टूबर में इन 5 सीटों पर उप चुनाव हो सकता है। पार्टी ने प्रभारी व सह प्रभारियों को निर्देश दिया है कि वे 13 जुलाई को इन क्षेत्रों के नेताओं से मुलाकात करें और उसके बाद दो माह तक उन क्षेत्रों में जाकर कैम्प करें। पार्टी का सबसे ज्यादा फोकस खींवसर सीट पर है। ये सीट रालोपा सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल के सांसद बन जाने के कारण खाली हुई है। विधानसभा चुनाव के समय बेनीवाल ने ये सीट दो हजार से कुछ अधिक वोटों से ही भाजपा से जीती थी।
इस कारण भाजपा को यहां जीत की अधिक संभावना लगती है और वो इसी कारण ज्यादा फोकस कर रही है। बेनीवाल ने अभी तक अपनी सीट के लिए पत्ते नहीं खोले हैं। वे इंडिया गठबन्धन का तो हिस्सा हैं मगर चुनाव जीतने के बाद उन्होंने 5 सीटों पर अपने बूते उप चुनाव लड़ने की भी घोषणा की थी। अब बदली स्थिति में वो क्या निर्णय करते हैं, इस पर भाजपा की नजर है।
किरोड़ीलाल मीणा के मंत्री पद से इस्तीफे के बाद भाजपा दौसा व देवली उणियारा सीटों को लेकर भी ज्यादा गंभीर हो गई है। झुंझनु सीट उनके लिए प्रतिष्ठा का सवाल पहले से ही बनी हुई है। चौरासी सीट राजकुमार रोत के सांसद बन जाने से रिक्त हुई है। भारत आदिवादी पार्टी का यहां वर्चस्व है और इस सीट पर उसे कैसे पराजित करे इस पर भाजपा में मंथन चल रहा है। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा कांग्रेस के दिग्गज आदिवासी नेता महेन्द्रजीत सिंह मालवीय को पार्टी में लाई मगर फायदा नहीं हुआ। इस सीट को लेकर भाजपा ज्यादा चिंतित है। कुल मिलाकर 5 सीटों के उप चुनाव भाजपा सरकार व संगठन के लिए बड़ी चुनोती बने हुए हैं। इसी वजह से इन चुनाव के लिए वो खास रणनीति पर काम कर रही है।
— मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘