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गिद्धों को नहीं सौंपा रतन टाटा का शव, दाह संस्कार किया

  • भारत के ‘रतन‘ का शव पंचतत्व में विलीन
  • गिद्धों को नहीं सौंपा रतन टाटा का शव, दाह संस्कार किया
  • दुनियाभर से रतन टाटा को श्रद्धांजलि


पारसी समाज में होता है अंतिम संस्कार ‘दखमा’, इसमें पूजा के बाद शव टॉवर ऑफ साइलेंस पर चील-गिद्धों के लिए छोड़ते हैं! कोविड के कारण साइरस मिस्त्री के शव का किया था दाह संस्कार, रतन टाटा के शव को भी गिद्दों के लिये नहीं रखा, दाह-संस्कार किया।


RNE Network, Mumbai.

पद्म विभूषण और पद्म भूषण रतन नवल टाटा ने 86 की उम्र की दुनिया को अलविदा कह दिया। टाटा संस के मानद चेयरमैन ने बुधवार रात 11 बजे अंतिम सांस ली। वे मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल के आईसीयू में एडमिट थे।

तिरंगे में लिपटे रतन टाटा के पार्थिव शरीर को अंतिम क्रिया से पहले नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (NCPA) में रखा गया । उनकी शवयात्रा में देशभर से नामी-गिरामी हस्तियां शामिल हुईं।

उद्यमी के तौर पर जहां वे दुनिया के सिरमौर में से एक बने वहीं सामाजिक सरोकार के चलते उन्हें इंसानियत के लिए काम करने वाला बड़ा नाम बना गया। रतन टाटा देश में जमशेदजी टाटा के बाद सबसे बड़े दानदाता के रूप में उभरे। उन्होंने कोविड में 1500 करोड़ रुपए दान दिया जो भारत के औद्योगिक घरानों की ओर से किये गए दान में सबसे ज्यादा था।

निजी जीवन में एकाकीपन रहा, सिमी ग्रेवाल से लंबी चली दोस्ती :

रतन टाटा दुनिया के बड़े बिजनेस टायकून और समाज सेवी रहे लेकिन निजी जिंदगी में उन्होंने अकेलापन झेला। उन्होंने शादी नहीं की। ऐसा नहीं है की वे शादी नहीं करना चाहते थे। खुद रतन टाटा ने एक इंटरव्यू में माना कि कई बार वे शादी के नजदीक तक पहुंच गए लेकिन आखिर में बात टूट गई।

अभिनेत्री सिमी ग्रेवाल और रतन टाटा की दोस्ती के खूब चर्चे रहे। एक बार तो यह लगभग तय लग रहा था कि दोनों शादी के बंधन में बांधने वाले हैं। दोनों डेट्स भी कर रहे थे लेकिन यह रिश्ता भी शादी तक नहीं पहुंच पाया। अलबत्ता दोस्ती बरकरार रही।

रतन टाटा के निधन उनके इस दोस्त सिमी ग्रेवाल ने भावुक श्रद्धांजलि भी अर्पित की है। “एक्स’ पर लिखा है : वे कहते हैं कि तुम चले गए.. तुम्हारा नुकसान सहन करना बहुत कठिन है.. बहुत कठिन.. अलविदा मेरे दोस्त..॥

गिद्धों के लिए नहीं छोड़ी रतन टाटा की पार्थिव देह :

रतन टाटा उस पारसी वंश से थे जो ईरान से आए थे। यह पारसी समुदाय अब दुनिया में बहुत कम रह गया है। इस समुदाय में अंतिम संस्कार दुनिया के सभी धर्मों से अलग है। इसमें अंतिम संस्कार को दखमा कहते है। दखमा के दौरान पारसी समुदाय मृतक के लिए आखिरी प्रार्थना करता है और शव एक खुली ऊंची जगह पर रख दिया जाता है। इस जगह को टावर ऑफ साइलेंस कहा जाता है। यहां रखे शव के मांस को गिद्ध-चील आदि मांसाहारी पक्षी खा लेते हैं। इससे इतर रतन टाटा के शव का दखमा नहीं होगा।

रतन टाटा के पार्थिव शरीर को प्रेयर हॉल में रखकर ‘गेह-सारनू’ पढ़ा । धार्मिक पुस्तक “अहनावेति” का पाठ किया। इस शांति प्रार्थना के बाद इलेक्ट्रिक अग्निदाह में अंतिम संस्कार किया। गौरतलब है कि अब दुनिया में गिद्धों की आबादी बहुत कम रह गई है। ऐसे में इस विधि से अंतिम संस्कार काफी मुश्किल हो गया है। इससे पहले टाटा ग्रुप के साइरस मिस्त्री का अंतिम संस्कार भी इलेक्ट्रिक दाह मशीन में हुआ था।