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अर्जुन का तीर लगा निशाने पर, जीते भी, मंत्री भी बने, बीकानेर का मान बढ़ाया

आरएनई,नेशनल ब्यूरो। 

लोकसभा चुनाव में राज्य की सबसे सेफ सीट समझी जाने वाली बीकानेर में भी इस बार काफी उतार चढ़ाव आया। राज्य की राजनीति का असर इस लोकसभा सीट पर भी पड़ा। जाटलेंड इस बार पूरी तरह से भाजपा के खिलाफ था। राहुल कस्वां का टिकट काटने के बाद तो जाट समाज ज्यादा गुस्से में आ गया। ये गुस्सा वोट में भी बदला। चूरू, सीकर, झुंझनु, नागौर, श्रीगंगानगर और बाड़मेर सीटों पर भाजपा धराशायी हो गई।

इस आंधी के बीच भी बीकानेर सीट भाजपा ने नहीं खोई। जबकि ये सीट भी जाटलेंड का ही हिस्सा है। यहां इस समाज का बड़ा जाट वोट बैंक है। बीकानेर सीट आरक्षित होने से पहले अधिकतर जाट ही जीतते आये हैं। महाराजा डॉ करणीसिंह व एक बार महेंद्र सिंह भाटी का समय छोड़ दें तो जाट समाज की ही इस सीट पर पकड़ रही है। मनफूल सिंह भादू, श्योपत सिंह, रामेश्वर डूडी, बलराम जाखड़ यहां से जीते हैं। इसे भी राजनीतिक दृष्टि से जाटलेंड की ही सीट माना जाता है।

इस बार सारी सीटें भाजपा ने हारी मगर जाटलेंड की बीकानेर सीट पर कांग्रेस भाजपा को नहीं हरा पाई। ये तथ्य है कि पिछली बार से कम वोटों से भाजपा इस बार जीती है मगर जीती है। अर्जुन राम मेघवाल का विजय रथ चौथी बार भी नहीं रुक सका। ये जीत भाजपा की तो है ही मगर साथ ही जीत का श्रेय उम्मीदवार अर्जुनराम मेघवाल को भी जाता है। भाजपा के खिलाफ की नाराजगी में जो कमी हुई वह उनके कारण ही हुई। शहरी क्षेत्र की सीटों ने इतने वोट दिए कि ग्रामीण वोटों की कमी पट गई।

अर्जुनराम मेघवाल ने बीकानेर को एक बार फिर जीतने के बाद भी मान दिलाया। वे केंद्र सरकार में फिर से स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री बने। ये बीकानेर के लिए गौरव की बात है। चार चुनाव लगातार जीतना और लगातार मंत्री बनना, इसका श्रेय पार्टी के साथ उनको भी जाता है। जिसे देने में चूक नहीं करनी चाहिए। सहजता, सौम्यता, सरलता, सदव्यवहार व उनकी हर समय की मुस्कान ने भी उपलब्धि अर्जित करने में मदद की है। पार्टी का साथ व खुद का व्यवहार, ये ही तो अर्जुनराम मेघवाल के अमोघ अस्त्र थे।

मगर इस बार की जीत के बाद विश्लेषण की भी जरूरत है। कईयों की भूमिका का मूल्यांकन करना होगा। ग्रामीण क्षेत्र में आई कमजोरी के कारण तलाश उनका हल भी करना होगा। शहरी मतदाता को जिसने जीत में मदद की, पूरा मान भी देना होगा। राज्य में भाजपा की सरकार है तो समर्पित कार्यकर्ताओं को आगे लाकर प्रोत्साहित करना होगा। उनको अवसर देना होगा।

कुल मिलाकर एक सांसद के रूप में अर्जुनराम मेघवाल ने बीकानेर का मान बढ़ाया है तो व्यक्ति के रूप में अपनी शालीनता पर मुहर लगवाई है। पूरा बीकानेर, भले ही वोट में साथ रहा या नहीं, इस गर्व की खुशी में सच्चे मन से साथ है। जय बीकाणा। जय जंगलधर बादशाह।
— मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘