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राजस्थानी कविता नै नूंवो आंटो दियो गोरधनजी : चेतन स्वामी

 
राजस्थानी कविता नै नूंवो आंटो दियो गोरधनजी : चेतन स्वामी चेतन स्वामी

राजस्थानी साहित्य रा ऊजळा नखत - गोरधनसिंहजी शेखावत

RNE, BIKANER . अणछक समचार मिल्यो कै आधुनिक राजस्थानी कविता रा आगीवांण कवि श्री गोरधनसिंहजी शेखावत नीं रैया। मन में एक धक्को सो लाग्यो। राजस्थानी सारू गोरधनसिंह जी रा घणा उपकार रैया है। गोरधनजी रो जलम 10 अप्रैल 1941 में झूंझणू जिले रै एक नैनै-से गाँव गुढ़ा में होयो। गोरधनजी राजस्थानी कविता नै नूंवो मुहावरो देवणवाळा कवियों में सिरैपांत गिणीजता। राजस्थानी कविता नै नूंवो आंटो दियो गोरधनजी : चेतन स्वामी तेजसिंह जोधा री पत्रिका 'राजस्थानी एक' रा पाँच कवियां में एक कवि गोरधनजी भी हा। राजस्थानी एक में राजस्थानी कविता नै नूंवो आंटो देवण री लकब नै गोरधनजी बाद में भी छोडी कोनी, अर 'किरकर' अर 'पनजी मारु' नांव रा दोवूं कविता संग्रै मांय उणनै डाळा काढतां देख सकां। राजस्थानी कविता नै नूंवो आंटो दियो गोरधनजी : चेतन स्वामी तेजसिंह जोधा बां रै कवि री आखी ऊर्जा नै ओळखता, इण वास्तै तेजजी नै जद 'जागती जोत' रै संपादण रो अवसर मिल्यो तो बै गोरधनसिंह जी कनै सूं एक लाम्बी कविता 'खुद सूं खुद री बातां' नांव सूं धारावाहिक लिखवाई। लोग उण कविता नै आगै बांचण सारू 'जागती जोत' रै नूंवै अंक री उडीकना करता। राजस्थानी कविता नै नूंवो आंटो दियो गोरधनजी : चेतन स्वामी गोरधनसिंहजी बियां तो आलोचना रा लिखारा हा। बां में एक तटस्थ अर रचनात्मक समीक्षक रा आखा गुण हा। आधुनिक कहाणियाँ पेटै वांरी समझ घणी चात्रक ही। इण वास्तै बै पीएचडी रो सोघ कारज भी हिन्दी री नई कहाणी विषय माथै करयो। सोध अर आलोचना रै खेतर मांय आपरी कई पोथ्यां हिन्दी अर राजस्थानी मांय आई। आपरो 'तीस मारखाँ' नाटक भी चावो रैयो। आप 'बिणजारो' पत्रिका री सरुवात करी जिकी पछै नागराजजी शर्मा पिलाणी सूं प्रकाशित करता रैया है। आप मनमेळू अर आव आदर करणवाळा साहित्यकार हा, हरेक नूंवै लिखारै नै आप प्रोत्साहन भरयो घणो लाड देवता। आपरै संपादण मांय छप्योड़ा 'जागती जोत' रा अंक संभाळणजोग है। आप उण वगत वरिष्ठ लिखारां नै आत्मपरक आलेख मांडण सारू एक स्तम्भ सरु करयो जिणरो नांव हो 'खुद रै सांम्ही खुद'। उण मांय भोत लिखारां रा आलेख छप्या। बै सगळा आलेख संग्रहणीय है। राजस्थानी कविता नै नूंवो आंटो दियो गोरधनजी : चेतन स्वामी आप री जलम भोम शेखावाटी रैयी अर करमभोम भी शेखावाटी ई रैयी। आप लाम्बै वगत तांई तोदी कॉलेज लक्ष्मणगढ़ में हिन्दी प्राध्यापक रैया। सेवानिवृति रै पछै आप सीकर रै श्रीकृष्ण सत्सँग बालिका महाविद्‌यालय में आपरी सेवा दिन्ही। राजस्थानी सम्मेलणां रा आप आकर्षण होया करता, आप अजातशत्रु कहीजता। आखै जीवण किणी भी साहित्यिक विवाद सूं सफां दूर रैय'र आपरो रचना करम किया करता। आपरी प्रेरणा सूं ई मणि मधुकर जियांकला लिखारा राजस्थानी मांय भी थोड़ी-सो लेखण करयो। राजस्थानी कविता नै नूंवो आंटो दियो गोरधनजी : चेतन स्वामी राजस्थानी रा वयोवृद्ध लिखारा श्रीउदयवीर शर्मा माथै आप एक संग्रहणीय ग्रंथ त्यार करयो। उदयवीरजी रा आप घणा हेतुला रैया है। शिक्षाविद् गिरधारीसिंहजी रै कृतित्व व्यक्तित्व माथै भी आप एक ग्रंथ संपादित करयो। राजस्थानी रा मोकळा सनमान आपनै मिल्या। आप कनै संस्मरणों रो घणो सैंठो भंडार हो, जद भी पांच राजस्थानी लिखारा भेळा होवता तो बै आपरै संस्मरणा री पांड खोल देता। आप लक्ष्मणगढ़ में साहित्य- संस्कृति-कला रै संरक्षण सारू शेखावाटी साहित्य-संस्कृति अर कला अकादमी री थापना करी अर उणरै जरियै मोकळा आयोजन करया। बां री चितार हमेसा बणी रैसी। राजस्थानी रा ऊरजावान लिखारा गोरधनसिंहजी री ऊजळी आतमा नै बारम्बार निवंण। राजस्थानी कविता नै नूंवो आंटो दियो गोरधनजी : चेतन स्वामी राजस्थानी कविता नै नूंवो आंटो दियो गोरधनजी : चेतन स्वामी

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