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आखिर कब उच्च सदन में राज्य के नेता को मिलेगा मौका, दोनों दलों से सवाल

रुद्रा तत्काल

अभिषेक आचार्य

आखिरकार भाजपा ने राजस्थान की एकमात्र राज्यसभा सीट के लिए होने वाले उप चुनाव के लिए उम्मीदवार घोषित कर ही दिया। कयासों के अनुसार एक बार राज्य में बाहरी उम्मीदवार उतारा गया है। केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है, जो हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में हार गये थे। हारने के बाद भी उनको राज्यमंत्री बनाया गया, क्यूंकि भाजपा उनको कांग्रेस से तोड़कर अपनी पार्टी में लाई थी।

इस बात पर ज्यादा आश्चर्य भी नहीं होना चाहिए, क्योंकि जिस रिक्त राज्यसभा की सीट पर चुनाव हो रहा है वो भी तो के सी वेणुगोपाल के कारण रिक्त हुई है। वे केरल के है और कांग्रेस ने चार साल पहले उनको ही यहां से राज्यसभा में भेजा था। उस समय तो वेणुगोपाल , सुरजेवाला व प्रमोद तिवारी, तीनों ही राजस्थान के नहीं थे। लोकसभा चुनाव से पहले हुए द्विवार्षिक राज्यसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने राज्य से सोनिया गांधी को भेजा था।

इस स्थिति में बारबार राज्य के राजनीतिक विश्लेषक व जागरूक लोग ये सवाल उठाते रहे हैं कि राज्य के किसी नेता को उच्च सदन में भेजने से राजनीतिक दल परहेज क्यों करते हैं। हर राज्य में हर पार्टी के पास अपने वरिष्ठ नेता होते हैं जो चुनाव नहीं लड़ते या समीकरणों के कारण हार जाते हैं।

कुछ वरिष्ठ नेता भी होते हैं, इनको अवसर मिलना चाहिए। मगर ये कोई नही करता। दूसरे राज्य से उम्मीदवार बनाते हैं जिनका राज्य से कोई जुड़ाव ही नहीं रहता। वे मूल रूप से जिस राज्य के होते हैं, वहीं अपनी सक्रियता रखते हैं। इस सच्चाई को नकारा तो नहीं जा सकता। कई बार तो बुद्धिजीवी ये भी मांग करते रहे हैं कि राज्यसभा के लिए भी ये नियम बनाया जाए कि उसी राज्य का उम्मीदवार हो।

बात इस बार के राज्यसभा उम्मीदवार की। भाजपा में इस बार तो राज्य से कई ऐसे नेता थे जो उच्च सदन में जाने की स्थिति में थे। वे राज्य के हितों की अच्छी पैरवी भी करते और पार्टी को भी उससे बल मिलता। पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ का लंबा राजनीतिक जीवन है और वे इस बार विधानसभा चुनाव हार गये थे। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया भी जाट नेता है और चुनाव हार गये थे। पूर्व प्रदेधाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी भी खाली थे। इस तरह से कई दावेदार थे, मगर फिर तरजीह बाहरी उम्मीदवार को मिली। इस पर राजनीतिक दलों को विचार करना चाहिए।