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कवयित्री सम्मेलन: हाड़ौती, ढूँढाड़ी, मारवाड़ी, शेखावाटी, बागड़ी सब मिल बन गई मीठी राजस्थानी

RNE Bikaner.

राजस्थान के कोने-कोने से आई लेखिकाओं ने जब अपनी रचनाएं सुनानी शुरू की तो जहां उनके भाव और संवेदनाओं गहरे तक छूती रही वहीं कहने का लहजा भी एक खास बोली की छाप छोड़ता चला गया।

 

कभी हाड़ौती अंदाज गूंजा तो कभी ढूँढाड़ी का दबदबा नजर आया। मारवाड़ी की मिठास पर तालियां गूंजी तो शेखावाटी-बागड़ी की मठोठ ने वाहवाही लूटी। यूं लगा कि सभी बोलियां कविता बनकर मंच पर उतरी और गलबहियां डाल बोली, हम हैं एक भाषा का कुनबा और वह भाषा है ‘राजस्थानी’। यह दृश्य है, राजस्थानी लेखिका संस्थान द्वारा होटल राजमहल बीकानेर में हुए राज्य स्तरीय कवयित्री सम्मेलन का ।

जानें, कहां-कहां से कौन आया : 

कार्यक्रम संयोजक व संस्थान की सचिव वरिष्ठ राजस्थानी साहित्यकार मोनिका गौड़ ने बताया कि इस कार्यक्रम में राज्य के कई जिलों से लब्ध प्रतिष्ठित कवित्रियों ने शिरकत की। हाड़ौती, ढूँढाड़ी, मारवाड़ी, शेखावाटी, बागड़ी की मिठास व मठोठ से श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए।

कवयित्रियों में कोटा से मंजू किशोर रश्मि, साधना शर्मा, जयपुर से कामना राजावत, मीनाक्षी परीक, जोधपुर से मधुर परिहार ,डॉक्टर सुमन बिस्सा, सरला सोनी, मीरा कृष्ण, हनुमानगढ़ से मानसी शर्मा, सीकर से डॉ बिमला महरिया, अनिता सैनी, ब्यावर से अवंतिका तूनवाल,चूरू से इंदिरा सिंह के साथ बीकानेर की सभी राजस्थानी लेखिकांवो ने इस सम्मेलन में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करवाई।

डुकवाल ने कविताओं में भावुकता के कारण गिनाये :

सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए डॉ विमल डुकवाल, डीन कॉलेज ऑफ कम्युनिटी साइंस ने कहा, “महिलाएं संवेदनाओं को जीती हैं इसीलिए उनकी रचनाओं में भावुकता होती है लेकिन वह समय के सच को जिस तरीके से अपने शब्दों से सिरजती रही है यह उल्लेखनीय है। ”

बीजवक्तव्य में हिंदी राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार श्री मदन सैनी ने कहा कि,”कविता हृदय से निकलती है.. संस्कृत से प्रारंभ होकर राजस्थानी में जिस तरीके से भाव संवेदनाएं उकेरने का कार्य होता आया है यह रेखांकित करने योग्य है,कुछ नहीं होना में ही होना संभव है”।

विशिष्ट अतिथि डॉ नरेश गोयल ने कहा कि,” बीकानेर साहित्य नगरी है और उसमें इस तरीके के आयोजन की महती आवश्यकता है जिससे राजस्थानी भाषा मानता के आंदोलन को भी बल मिले।

कार्यक्रम की अध्यक्षता महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने की। उन्होंने कहा कि भाषा भाव के संबंध से मनुष्य को जोड़ती हैं।

इसलिए लेखिका सम्मेलन :

संस्था की अध्यक्ष डॉ शारदा कृष्ण ने कहा, महिला संस्थान की आवश्यकता इसलिए पड़ी ताकि महिलाओं का लेखन एक साथ नजर आए। वे अलग-अलग अंचल में बैठकर लिख रही हैं लेकिन एक मंच होने से वे अपने विचारों को, अपने लेखन को साझा कर पाएंगी। इसके साथ ही राजस्थानी भाषा मान्यता आंदोलन में महिला वर्ग की भी उपस्थित रहेगी ।

बीकानेर की इन कवयित्रियों की भागीदारी :

बीकानेर की मनीषा आर्य सोनी, इंदिरा व्यास, डॉ रेणुका व्यास नीलम, डॉ सीमा भाटी, डॉ संजू श्रीमाली, रितु शर्मा, मीनाक्षी स्वर्णकार, कपिला पालीवाल, सोनाली सुथार, अक्षिता जोशी भगवती पारीक मनु आदि ने भी अपना अपना राजस्थानी रचना पाठ प्रस्तुत किया।

संस्था की उपाध्यक्ष अभिलाषा पारीक ने बताया कि इन कविताओं में आज के समय का सच तथा प्रश्न बहुत सटीक तरीके से लेखिकाओं ने उकेरे हैं। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए संस्था की सह सचिव संतोष चौधरी ने कहा, ऐसे ही कार्यक्रमों की श्रृंखला राज्य के अलग-अलग शहरों में की जाएगी ।

ये रहे मौजूद :

जगदीश शर्मा एडवोकेट, कौशल्या गौड़, नंदकिशोर भाटी, संजय पुरोहित, रवि पुरोहित, नदीम अहमद नदीम, बुलाकी शर्मा, कमल रंगा, गंगाविशन बिश्नोई, जगदीश रतनू, सुरेश सोनी, कासिम बीकानेरी, आत्माराम भाटी, रेन्वतराम गोदारा, दीनदयाल, शर्मा, अमिता सेठिया, सुमन पारीक, विप्लव व्यास, मोहम्मद इरसार कादरी, रवि शुक्ला, जुगल पुरोहित, मधुरिमा सिंह, डॉ बसंती हर्ष, कमलेश शर्मा, अब्दुल शकूर बिकानवी, अमित जांगीड़, उमा जांगीड़, विकास पारीक, दुष्यंत शर्मा तथा राजस्थानी युवा मोर्चा से प्रवीण मकवना, जगदीश राजस्थानी, प्रशांत जैन राजेश कड़वासरा, आदि उपस्थित रहे।